Impact on 2024 World Economy : 2024 में वैश्विक राजनितिक घटनाओ का विश्व अर्थव्यवस्था पर प्रभाव

2024 में वैश्विक राजनितिक घटना क्यों महत्वपूर्ण हैं ?

2024 में वैश्विक राजनितिक घटना महत्वपूर्ण इसलिए है क्योकि ये विश्व अर्थव्यवस्था को प्रभावित तो कर ही सकती है बल्कि वह इसे गहराई से प्रभावित करती है इसके प्रमुख घटनाये भी है जैसे की चुनाव ,युद्ध ,संधिया और अंतरास्ट्रीय सबंधों में बदलाव के कारण आर्थिक और व्यापार के प्रभाव को बहुत प्रभावित करते हैं।

उदाहरण के लिए :-

  • चुनाव: जैसे अमेरिकी राष्ट्रपति चुनाव जैसे ही प्रमुख चुनाव नीतियों और वित्तीय नीतियों को बहुत ही ज्यादा प्रभावित कर सकते हैं।
  • युद्ध: राजनितिक तनाव या युद्ध के वजह से जरूरत के समानो में और कच्चे मालो के कीमतो में उतार- चढ़ाव देखने को मिल सकता है।
इस घटनाओं के फलस्वरूप हमे ये देखने को मिलेगा की शेयर बज़ार ,विदेशी मुद्रा और वैश्विक निवेश प्रवृत्तियों में बदलाव देखने को मिल सकते है ,जो की विश्व अर्थव्यवस्था की स्थिरता को प्रभावित कर सकता हैं।

2024 में वैश्विक राजनितिक घटना

  • अमेरिका: 2024 में अमेरिकी राष्ट्रपति चुनाव का विश्व के अर्थव्यवस्था पर बहुत प्रभाव पड़ सकता है यह चुनाव न केवल आंतरिक नीतियों पर प्रभावित करेगी बल्कि ये आर्थिक स्थिति को भी प्रभावित करेगी।

नीतियों की सम्भावना

  • व्यापार नीतियाँ
  • वित्तीय नीतियाँ
  • विदेश नीतियाँ
  • प्रौद्योगिकी नीतियाँ
  • चीन: 2024 में चीन नेतृत्व होने वाले बदलाव से विश्व के अर्थव्यवस्था पर बहुत ही ज्यादा प्रभाव पड़ सकता है।क्योकि चीन एक वैश्विक आर्थिक शक्ति में से एक है और उसके किसी भी प्रकार के बदलाव मात्र से ही पुरे एशिया में ही नहीं बल्कि पुरे दुनिया पर उसका प्रभाव पड़ सकता है।

चीनी नेतृत्व में परिवर्तन के कुछ मुख्य पहलू

  • आर्थिक नीतियाँ
  • टेक्नोलॉजी और इनोवेशन
  • भू – राजनितिक तनाव
  • यूरोप: 2024 में यूरोपीय संघ में राजनितिक बदलाव या कोई नई नीतियों के आने के कारण से ही विश्व अर्थव्यवस्था पर बहुत बुरा प्रभाव पड़ सकता हैं।

यूरोपीय संघ में राजनितिक बदलाव के कुछ पहलू :

  • ब्रेक्सिट के बाद का प्रभाव
  • राष्ट्रीय चुनाव
  • आव्रजन नीतियाँ

ऐसे ही दूसरे देश जैसे की भारत ,रूस या कोई देशो की राजनितिक बदलाव मात्र से ही हमे बहुत प्रभाव देखने को मिल सकते है।

वैश्विक अर्थव्यवस्था पर क्या प्रभाव पड़ सकते है

  1. शेयर बाजार पर प्रभाव :
  • राजनितिक में उतार -चढ़ाव: यदि किसी भी देश में अगर राजनीती में उतार-चढ़ाव देखने को मिलता है तो इससे बहुत बुरा असर देकने को मिलता है तो होता ये है की जो भी शेयर होल्डर होते है उनका विश्वास कम होने लगता है जिससे की शेयर बाजार में गिरावट देखने को मिलती है।
  • नए नियम लाना या नियमो में बदलाव : जैसे की अगर कर्ज सुधार , व्यापार नीति में अगर कोई भी नियम का बदलाव होता है तो इससे बहुत से क्षेत्रों में तेजी या मंडी आ सकती है। जैसे अगर सरकार टैक्स काम करती है तो इससे कंपनी के मुनाफे में तेजी से बदलाव देखने को मिल सकते है जिससे की शेयर बाजार में भी बदलाव आ सकते है।
  • अंतरास्ट्रीय संबंध : यदि कोई देश दूसरे देश के साथ तनाव पैदा कर देता है तो वह उस देश के शेयर बाजार को भी प्रभावित कर सकता है।

2. ब्रांड बाजार पर होने वाले प्रभाव:

  • ब्याज के दरों में होने वाले बदलाव : यदि कोई देश राजनितिक बदलाव के कारण ब्याज दरों में बदलाव करता है तो इससे ब्रांड के कीमतों पर असर पड़ सकता है जिससे की कुछ ब्रांड को ये बहुत आकर्षित कर सकती है लेकिन कुछ ब्रांड पर सीधा इसका उसका उल्टा असर हो सकता है।
  • सार्वजानिक कर : राजनितिक बदलाव के कारण किसी भी देश में अगर कर में बृद्धि होने की संभावना होती है तो देशो में जो भी निवेशक अपना शेयर या ब्रांडो के लिए वह देश उनके हिसाब से जोखिम भरा देश होता है।
  • सुरक्षित निवेश की मांग : अगर किसी देश में राजनितिक संकट के समय निवेशक सुरक्षित निवेश की मांग कर सकते है जिसके कारण ब्रांड की माँग बढ़ सकती है और यील्ड में कमी आ सकती है।

3. विदेशी मुद्रा के बाजार पर होने वाले प्रभाव :

  • मुद्रा के मूल्य में कमी : यदि किसी देश में अगर राजनितिक बदलाव होता है तो हो सकता है की उसके देश की मुद्रा के मूल्य में उतार चढ़ाव देखने को मिल सकते है क्युकी बदलाव के करण निवेशक उस मुद्रा से दूर हो सकते है।
  • मुद्रा के दरें : अगर किसी देशो के बीच व्यापारिक सबंधो में अगर किसी वजह से तनाव होजाता है टी इसके फलस्वरूप उनके मुद्रा के दरों में हमे उतर चढ़ाव देखने को मिल सकता है।
  • केंद्रीय बैंक के नीतियों में बदलाव : यदि राजनितिक बदलाव के कारण केंद्रीय बैंक अगर अपने नीतियों में अगर बदलाव करता है तो इसका सीधा असर मुद्रा के दरों पर पड़ सकता है।

राजनितिक बदलाव , चुनाव के रिजल्ट ,नीतियों में बदलाव होने के वजह से ये सभी निवेशक के सोच को बहुत ही ज्यादा प्रभावित कर सकता है जिसके वजह से हमे शेयर बाजार ,ब्रांड बाजार और विदेशी मुद्रा में उतार चढ़ाव देखने को मिल सकता है।

4. व्यापार समझौतों से होने वाले प्रभाव :

  • नई व्यापार संधियाँ : देशो में चुनाव के वजह से राजनीती बदलाव हो सकते है जिसके वजह से व्यापार के कई नए समझौते हो सकते है जिसके कारण बदलाव आ सकता है।
  • अंतरार्ष्ट्रीय सहयोग : किसी भी देश में राजनितिक बदलाव के कारण देशो के बिच अगर सहयोग की दशा बदल जाती है तो इससे व्यापार समझौते पर इसका बहुत बड़ा असर पड़ सकता है।

भविष्य में होने वाली संभावनाएं और उसके कुछ सुझाव :

  • आर्थिक विकास के दरों में उतार-चढ़ाव : किसी भी राजनितिक बदलाव के कारण से आर्थिक विकाश के दरों में उतार-चढ़ाव देखने को मिल सकता है और अगर ऐसे ही ये बना रहा तो जो भी निवेशक है उनका विश्वास कम हो जाट है ,जिसके वजह से विकाश की रफ़्तार धीमी होने लगती है।
  • जैसे की अगर अमेरिका , यूरोप और चीन के बिच में अगर राजनितिक तनाव बढ़ते है तो इसका असर पुरे वैश्विक आर्थिक गतिविधि पर इसका बुरा असर पड़ सकता है।
  • निवेश और व्यापारिक नीतियाँ : अर्थशास्त्री ये बताते है की राजनितिक बदलाव के कारण निवेशकों की नीतिया बदल सकती है और सभी निवेशक सावधानी बरतते हुए वह सुरक्षित और स्थिर बाज़ारो में निवेश करेंगे। जिससे ये होगा की जो बाजार अभी नये-नये होंगे उनके निवेश में कमी आ सकती है और जो भी विकसित देश होंगे उनको काफी फायदा होने लगेगा।

व्यापार समझौतों से होने वाले प्रभाव :

  • नई व्यापार संधियाँ : किसी भी देश में राजनितिक बदलाव और चुनावों की वजह से कई सारे बदलाव हो सकते है जिससे की जो भी मौजूदा समझौता होगा उसमे बदलाव आ सकते है। जैसे की अगर अमेरिका में नई सरकार आती है ,तो वह फिर से मौजूदा समझौतो पर दुबारा से विचार कर सकती है या नए समझौतो को वह लागू कर सकती है।

सप्लाई चेन से होने वाले प्रभाव :

  • सप्लाई चेन में रुकावट : किसी भी राजनितिक बदलाव के वजह से सप्लाई चेन में रुकावट आ सकती है और अगर कोई भी रुकावट होती है तो कच्चे माल या जो नहीं जरूरत की चीजे होंगी उनको आने में देरी हो सकती है जिससे की इसका असर बाज़ारो पर करेगा।

2024 में राजनितिक घटनाओं का सारांश और उनके आर्थिक प्रभाव :

2024 की कुछ राजनितिक घटनाएँ जैसे की अमेरिका के राष्ट्रपति का चुनाव ,चीन के नेतृत्व में बदलाव ,और यूरोप में राजनितिक बदलाव से विश्व के अर्थव्यवस्था पर बहुत ही ज्यादा प्रभाव डाल सकते है जिससे की व्यापार समझौते ,सप्लाई चेन और भी चीजों में रुकावट आ सकती है। जिसके वजह से आर्थिक ,व्याज दरों और निवेश में बदलाव आ सकते है। जिससे की होगा यह की आर्थिक विकाश में रुकावट आने लगेगी और फिर देश विदेश के सहयोग में भी बदलाव आना शुरू होजायेगा इसलिए लोग अपनी कम्पनियो और पैसो को सुरक्षित रखने के लिए वह खुद को और भी ज्यादा विकसित करेंगे और डिजिटल चीजों का ज्यादा से ज्यादा इस्तेमाल करने में ध्यान देंगे ताकि इन राजनितिक बदलाव के प्रभाव से निपटा जा सके।

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